१)
बस बेचैन है दिल …
दिमाग में काम भरा हैं,
फिर भी आँखों में…
तलाश जाने किसकी …
ना जाने क्या खोज रहा हैं .
२)
अकेले तो नहीं दुनिया में …
फिर भी अकेलापण हैं ,
उजाला कितना चारों तरफ …
फिर भी रात कों ढूंढ रहा हैं .
३)
वक्त तो नहीं लगता …
किसीका होणें कें लियें,
पर खुद कीं तलाश में …
दर दर भटक रहा हूं.
कहा खो गया मैं …
इन इन्सानों के बीच ,
के अब सितारों मे …
जहाँ ढूंढ रहा हूं .
४)
आज फिर उमड़ आया दिल …
भूले बिछडे कायनात सें ,
लिख रहा फलसफा खुद का …
ना चहात हैं, ना कोई आरजू .
५)
मतलब शायद …
कुछ ना हो इन शायरी का,
बस दिल का आशियाना सुना रहा हूं ,
समझ लेना दिल कों …
सिर्फ वक्त का फ़ासला बयान कर रहा हूं
आज असंच काही सुचत गेले म्हणून लिहिले आहे. एक न दोन चांगल्या 5 चारोळ्या. ना कोणताच अर्थ, ना कोणतीच भावना फक्त जे सुचलं ते आहे. -- हर्षद कुंभार (१२/०८/२०१६ ०७.२५)
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