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Thursday, December 8, 2016

हिंदी चारोळ्या

१)

बस बेचैन है दिल …

दिमाग में काम भरा हैं,

फिर भी आँखों में…

तलाश जाने किसकी …

ना जाने क्या खोज रहा हैं .

२)

अकेले तो नहीं दुनिया में …

फिर भी अकेलापण हैं ,

उजाला कितना चारों तरफ …

फिर भी रात कों ढूंढ रहा हैं .

३)

वक्त तो नहीं लगता …

किसीका होणें कें लियें,

पर खुद कीं तलाश में …

दर दर भटक रहा हूं.

कहा खो गया मैं  …

इन इन्सानों के बीच ,

के अब सितारों मे …

जहाँ ढूंढ रहा हूं .

४)

आज फिर उमड़ आया दिल …

भूले बिछडे कायनात सें ,

लिख रहा फलसफा खुद का …

ना चहात हैं, ना कोई आरजू .

५)

मतलब शायद …

कुछ ना हो इन शायरी का,

बस दिल का आशियाना सुना रहा हूं ,

समझ लेना दिल कों …

सिर्फ वक्त का फ़ासला बयान कर रहा हूं

आज असंच काही सुचत गेले म्हणून लिहिले आहे. एक न दोन चांगल्या 5 चारोळ्या. ना कोणताच अर्थ, ना कोणतीच भावना फक्त जे सुचलं ते आहे. -- हर्षद कुंभार   (१२/०८/२०१६ ०७.२५)